निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

आज तो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

26 जनवरी 1931 को कलकत्ता में राष्ट्रीय ध्वज फहराने एवं पूर्ण स्वराज्य प्राप्ति के लिए जो संघर्ष हुआ, वह अद्भुत था। इससे पहले यह कहा जाता था कि कलकत्ता में स्वतंत्रता संग्राम हेतु अधिक कार्य नहीं किया जा रहा और यह बात कलकत्ता और कलकत्ता वासियों के लिए कलंक के समान थी। परन्तु 26 जनवरी 1931 को सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस मनाते हुए कलकत्ता वासियों ने अपनी देशभक्ति, एकता व साहस को सिद्ध कर दिया। भारत की स्वतंत्रता हेतु कलकत्ता वासियों ने संगठित होकर संघर्ष किया। अंग्रेज प्रशासकों द्वारा बनाए गए कानून को भंग करते हुए कौसिल की तरफ से उन्हें खुली चुनौती दी गई कि उसी दिन मोनुमेंट के नीचे लोग इकट्ठे होकर झंडा फहराएँगे। पुलिस ने इसे उनका अपराध मानते हुए उन पर अनेक हिंसात्मक जुल्म किए परन्तु उनका जोश और उत्साह कम न हुआ। सैकड़ों लोग घायल हुए तथा अनेक गिरफ्रतारियाँ दी गईं। इस प्रकार कलकत्तावासियों के मस्तक पर लगा कलंक बहुत अंश में धुल गया।


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